23 दिसंबर को 2022 की अंतिम अमावस्या:भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा के साथ ही दान-पुण्य भी करें, पितरों के लिए दोपहर में करें धूप-ध्यान

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शुक्रवार, 23 दिसंबर को पौष माह की और साल 2022 की अंतिम अमावस्या है। ये तिथि पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य करने के लिए भी बहुत खास है। अमावस्या पर किए गए शुभ कामों से अक्षय पुण्य मिलता है, ऐसा पुण्य जिनका असर कभी खत्म नहीं होता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक पौष अमावस्या शुक्रवार को है, इस वजह से 23 दिसंबर को महालक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा जरूर करें, दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध शंख में भरें और फिर भगवान को स्नान कराएं।

अभिषेक के बाद महालक्ष्मी और विष्णु जी को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करना चाहिए। हार-फूल से श्रृंगार करें। गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं।

पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

पितरों के लिए ऐसे करें धूप-ध्यान

शुक्रवार की दोपहर में घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब कंडों पर गुड़-घी चढ़ाएं और पितरों का ध्यान करें। हाथ में जल लेकर अंगूठे की ओर से जल अर्पित करें।

जरूरतमंद लोगों को करें ऊनी कपड़ों का दान

अभी ठंड का समय है, इसलिए जरूरतमंद लोगों को ऊनी कपड़ों का दान करें। अनाज, धन, जूते-चप्पल और भोजन का दान करें। किसी गौशाला में गायों की सेवा करें, धन का दान करें।

तुलसी के पास जलाएं दीपक

शुक्रवार की शाम तुलसी के पास दीपक जलाएं। लाल चुनरी ओढ़ाएं। ध्यान रखें, शाम को तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। अमावस्या पर किसी नदी-तालाब में मछिलयों को आटे की गोलियां बनाकर जरूर खिलाएं। तिल-गुड़ का दान करें।